Poem on Basant Panchami in Hindi
Basant Panchami Poem in Hindi - Vasant Panchami par kavita
देखो-देखो बसंत ऋतु है आई
चारों और हरियाली है छाई
भँवरे भी लगे हैं अब मुस्काने
कलियों में फूल जो लगे हैं आने
किसानों के चेहरे भी हैं खिलखिलाये
बसंत में हरे खेत दूर-दूर तक नज़र आये
प्यारी सी कोयल लगी है गीत गाने
मुस्कुराने के मिले हैं सबको हज़ारों बहाने
खेतों में पीली-पीली सरसो है लहलहाई
दूर-दूर तक बस हरियाली है नज़र आई
झर गए हैं सब पीले पात
अब हवा में भी है कुछ अनोखी सी बात
कानों में बजने लगा है एक सुमधुर सा गाना
हर पल चाहता हूँ अब बस मुस्काना
बसंत ऋतु अपने साथ में लायी ताजगी के नए रंग
पतझड़ का सूनापन हो चला है अब भांग
नाचो झूमों खुशियां मनाओ मिलकर सब संग |
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