क्या आपको पता है नैनीताल में कुल कितनी झीलें / ताल हैं ?
Famous Lakes of Nainital
Nainital Lakes
नैनीताल में मौजूद 13 झीलों का विवरण निम्न प्रकार है -1. नैनी झील - Naini Lake
नैनी झील नैनीताल की सभी झीलों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। स्कन्द पुराण में नैनी झील को त्रिऋषि सरोवर भी कहा गया है | नैनी झील 64 शक्ति पीठों में से एक है | इस झील की लम्बाई 1500 मीटर, चौड़ाई 42 मीटर और गहराई 30 मीटर है । इस झील की लोकप्रियता इसलिए भी ज़्यादा है क्योंकि ये झील सुंदर होने के साथ ही नैनीताल शहर के केंद्र में स्थित है। इस झील के उत्तरी किनारे को मल्लीताल और दक्षिणी किनारे को तल्लीताल कहा जाता है | जब दिन के समय सूरज की रौशनी झील पर पड़ती है तो इसकी खूबसूरती कई गुना बढ़ जाती है | इस झील में कई प्रकार की मछलियां भी देखने को मिलती हैं |2. भीमताल - Bhimtal
भीमताल एक त्रिभुजाकर झील है जो नैनीताल से 22.5 किमी की दूरी पर स्थित है | इस झील की लम्बाई 1674 मीटर, चौड़ाई 447 मीटर गहराई 15 से 50 मीटर तक है । भीमताल कुमाऊँ क्षेत्र की सबसे बड़ी झील है | नैनीताल की ही तरह भीमताल के भी दो कोने हैं जिन्हें तल्ली ताल और मल्ली ताल के नाम से जाना जाता है । यह झील समुद्र तल से 4500 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है | इस ताल के बीच में एक टापू भी है जो सैलानियों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है |3. खुर्पाताल - Khurpataal
खुर्पाताल मछली पकड़ने के शौकीन लोगों के लिए तो स्वर्ग समान है। खुर्पाताल नैनीताल से 10 किमी की दूरी पर स्थित है । यह समुद्र तल से 1635 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है । खुर्पाताल झील का नाम खुर्पाताल इसलिए पड़ा क्यूंकि जब आप इसे ऊपर से देखोगे तो इस झील की आकृति खुर (घोड़े के तलवे) के समान दिखती है। इस ताल का पानी साफ़ तथा गर्म होता है तथा इसे गर्म पानी के ताल के नाम से भी जाना जाता हैं | सर्दियों के समय में भी इस झील का पानी हल्का गुनगुना रहता हैं | इस ताल में फिशिंग भी की जाती है लेकिन यहाँ बोटिंग और कोई टूरिस्ट एक्टिविटी नहीं होती है | खुर्पाताल झील अपना रंग बदलती रहती हैं | इस झील का रंग कभी लाल तो कभी हरा तो कभी नीला दिखाई देता हैं | इस कारण इसे रहस्मयी झील भी कहा जाता हैं |4. सरियाताल - Sariyataal
सरियाताल को सरिताताल के नाम से भी जाना जाता है | यह ताल नैनीताल से 5 किमी और खुर्पाताल से 2 किमी की दूरी पर स्थित है | सरियाताल झील के किनारे हिमालयन बोटैनिकल गार्डन भी है जिसमें बटरफ्लाई पार्क, हर्बेरियम, लाइब्रेरी, फ़र्न हाउस और ऑडिटोरियम है । ये बोटैनिकल गार्डन 30 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैला है और एक रिसर्च सेंटर है । सरियाताल में आने वाले बच्चे भी यहाँ बनाये गए छोटे से पार्क में आनंद ले सकते हैं और इस क्षेत्र के समृद्ध वनस्पतियों को जानने के लिए हिमालयन बोटैनिकल गार्डन भी जा सकते हैं । साथ ही यहाँ पर एक वॉटरफॉल भी है | इस उद्यान में कई दुर्लभ और लुप्तप्राय देशी पौधों की प्रजातियों का संग्रह है। इस उद्यान में कुछ प्रमुख आकर्षण हैं - ऑर्किडेरियम, हर्बेरियम, थुनिया अल्बा आर्किड, जियोडेसिक गुंबद आदि शामिल हैं।सातताल झील - Sattaal
सातताल झील, नैनीताल से 23 किमी और भीमताल से 4 किमी की दूरी पर स्थित है | यहाँ पर सात छोटी छोटी झीलों का समूह है | छोटे-छोटे सात तालों के समूह को ही सातताल कहा जाता है। अब यहां दो ताल सूख गये हैं और मात्र पांच ताल देखे जा सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि कभी इस क्षेत्र में साठ ताल थे जिस वजह से इसे छलाता भी कहा जाता है । सात तालों के समूह का विवरण निम्न प्रकार है :5. नलदमयंती ताल - Naldamyanti Taal
6. गरुड़ ताल - Garud Taal
7. राम ताल - Ram Taal
8. लक्ष्मण ताल - Lakshman Taal
9. सीता ताल - Sita Taal
10. सूखा ताल - Sukhataal
11. पूर्ण ताल - Purntaal
नलदमयंती ताल
पौराणिक कथाओं के अनुसार नलदमयंती ताल का नाम राजा “नल ” और रानी “दमयंती” के नाम पर पड़ा था और इसी ताल में उनकी समाधि बना दी गयी थी | इस ताल का आकार “पंचकोणी” है | इस झील में कभी-कभी कटी हुई मछलियों के अंग दिखाई देते हैं । ऐसा कहा जाता है कि अपने जीवन के कठोरतम दिनों में नल दमयन्ती इसी ताल के समीप रहा करते थे और जिन मछलियों को काटकर उन्होंने कढ़ाई में डाला था वे भी उड़ गयी थीं।कहा जाता है कि इस ताल में वही कटी हुई मछलियाँ दिखाई देती हैं। उसी समय एक महात्मा के द्वारा भी इस झील में मछलियाँ पाली गई थी और ऐसी मान्यता रही कि इस झील में कभी भी मछलियाँ को नहीं मारा जा सकता है | और यह मान्यता आज भी बनी हुई है। इसी कारण इस झील में आज भी काफ़ी बड़ी और प्रमुख मछलियों का अस्तित्व बचा हुआ है। इस झील में पायी जाने वाली मछलियों में प्रमुख हैं सिल्वर कार्प, गोल्डन कार्प और महासीर |
गरुड़ ताल
नलदमयंती ताल के बाद गरुड़ ताल पड़ती है। यह एक छोटी सी ताल है और इसका पानी बहुत साफ़ है। स्थानीय लोगों स्थानीय लोगों की ऐसी मान्यता है कि इस पूरे इलाके में पांडव ने अपने वनवास के दौरान निवास किया था और इस झील के पास द्रौपदी ने अपनी रसोई बनाई थी। द्रौपदी द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाला सिल-बट्टा आज भी यहाँ पर पत्थरों के रूप में मौजूद है।राम, लक्ष्मण, सीता ताल
गरुड़ ताल से कुछ आगे राम, लक्ष्मण, सीता ताल है। ये तीनों ताल एक साथ जुड़ी हुई है।कहा जाता है कि यहाँ पर राम, लक्ष्मण, सीता रहा करते थे। यहाँ पांडव लोग भी अपने वनवास के दौरान रहे थे और यहीं पर भीम ने हिडिंबा राक्षसी का अंत किया था।सूखा ताल और पूर्ण ताल
सूखा ताल और पूर्ण ताल झीलों का अस्तित्व लापरवाहियों के चलते अब समाप्त हो गया है। बरसात के समय सूखाताल में थोड़ा बहुत पानी रहता है | यहाँ एक प्राचीन चर्च भी है जो अपने शिल्प के लिये काफ़ी मशहूर है। सातताल से ही 7-8 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई तय करके हिडिंबा देवी का मंदिर भी है।12. हरीशताल - Harish Tal
हरीशताल नैनीताल से 132 किमी की दूरी पर स्थित है | हरीशताल के बीच में एक टापू हैं | यह ताल काफी सुन्दर है और अब इसे एक टूरिस्ट स्पॉट के रूप में भी विकसित किया जा रहा है |13. लोहकम ताल - Lohkam Taal
लोहकम ताल को लोखम ताल के नाम से भी जाना जाता है | यह ताल नैनीताल से 127 किमी की दूरी पर स्थित है | लोहाखाम झील की मान्यता हरिद्वार के कुण्ड की तरह बतायी जाती है | जो लोग हरिद्वार में गंगा स्नान नहीं कर पाते वो इस ताल में स्नान करते है | ऐसा माना जाता है कि इस ताल की मान्यता हरिद्वार में गंगा के समान है। इस ताल की गहरायी बहुत अधिक है। यह ताल चारों तरफ से पहाडों से घिरा हुआ है और इसकी खूबसूरती मन को मोह लेती है ।नैनीताल के सभी तालों के बारे में जानकारी के लिए आप यह वीडियो भी देख सकते हैं |
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