Beauty of village poem
Beauty of village poem
एक छोटा सा गांव हमारा जो है बड़ा निराला
मेरा गांव है सबसे प्यारा
चारों ओर है यहाँ हरियाली छायी
सबके चेहरों पर एक प्यारी सी मुस्कान है आयी
ये हरे-भरे खेत खलिहान
किसानो की बसती है इनमे जान
यहाँ की ये स्वच्छ आबोहवा
मन को बना रही है दुगुना जवां
दिल को मिला एक गजब का सुकून
गांव में ही रहने का सवार हो गया जूनून
यहाँ का ये नीला-नीला आसमान
कर रहा है यहाँ की खूबसूरती का बखान
यहाँ पर चिड़ियों का ये चहकना
मिटटी से एक सौंधी-सी खुशबू का महकना
दिल को दे रहा है एक अजब सा सुकून
दिल में यही रह जाने का छा गया जूनून
सुबह-सुबह सूरज की पहली किरण
पहुँच गयी सबके घर-आँगन
एक मीठी खिली-खिली सी धूप है छाई
आह यहाँ आकर मन ने एक गजब शान्ति पाई
गांव की खूबसूरती को कैसे करूँ शब्दों में बयां
अब शब्द मेरे पास बचे ही हैं कहाँ
शहरों की भागदौड़ से दूर
दिल गांव में आने को खुदबखुद हो गया मजबूर
गांव की खूबसूरती ने कर दिया चूर
अब तो बस यहीं बस जाने को चाहता है मन
यहाँ की स्वच्छ आबोहवा में महकने लगा है तन
एक अजब सी ख़ुशी दिल में हैं छाई
जब से मेरे क़दमों ने गांव की ज़मीन है पाई |
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