अपने-पराये - Best Emotional Poem in Hindi
अपने-पराये : Best Emotional Poem in Hindi
जीवन में कभी किसी मोड़ पर
अपने ही लगने लगते हैं पराये
जिनके साथ इतने लम्हे बिताये
फिर क्यों लगने लगते हैं वो अपने पराये ?
लगता है ऐसे जैसे किसी को
नहीं है हमसे प्यार
सब अपना मतलब निकालने
को बैठे हैं तैयार
किसी से नहीं रहती कोई आस
सब पर से उठ जाता है विश्वास
जो थे कभी हमारे साये
वही अपने लगते हैं पराये
उस वक़्त कोई पराया
अगर लगाले प्यार से गले
तो सोचने लगता है मन
तुम हमको पहले क्यों नहीं मिले ?
भुलाकर सारे शिकवे-गिले
अपनों को ही लगा लो गले
क्या पता ऐसा समय, फिर ना मिले
No comments