कितनी बदल गई है यह राखी - Rakshabandhan celebration in Modern Days
कितनी बदल गई है यह राखी - Rakshabandhan celebration in Modern Days
रक्षाबंधन - Rakshabandhan
आज हम बात करने वाले हैं भारतवर्ष के प्रमुख उत्सव में अपना प्रमुख स्थान रखने वाला रक्षाबंधन | रक्षाबंधन हर वर्ष सावन मास में मनाया जाता है | इस दिन सभी बहनें अपने भाई की कलाई में सुंदर राखी या सूत्र बांधती हैं और भाई अपनी बहन की रक्षा के लिए प्रण लेता है और अपनी बहन को उपहार स्वरूप भेंट प्रदान करता है |Rakshabandhan Indian Festival
वैसे तो विभिन्नता में एकता वाले देश भारत में प्रतिदिन कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है लेकिन रक्षाबंधन ऐसा त्यौहार है जिसे हर घर में मनाया जाता है |105 Rakshabandhan Wishes for Brother and Sister. Best Rakhi 2018 Wishes in Hindi
रक्षाबंधन की विधि क्या है - How to celebrate Rakshabandhan?
सुबह सुबह स्नान के पश्चात भाई बहन नए परिधान पहनते हैं | घर में पूजा अर्चना की जाती है | सबसे पहले बहन अपने भाई को टीका लगाती है या रोली लगाती है चंदन लगाती है | भाई को मिष्ठान या पकवान खिलाती है और अपने भाई की चिरायु की कामना करती है | तत्पश्चात भाई के हाथ में सुंदर सी राखी बांधती है और भाई अपनी बहन को आशीर्वाद देता है | उसको उपहार या भेंट प्रदान करता है |रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने शुभ लग्न कब का है - Best time to tie rakhi 2019
रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का उपयुक्त समय कौन सा है?
प्रत्येक वर्ष राखी बाँधने के लिए एक शुभ मुहूर्त का चुनाव किया जाता है | यह चुनाव हमारे हिंदू कैलेंडर अर्थात पंचांग के आधार पर शुभ लग्न सुनिश्चित किया जाता है |Rakshabandhan Celebration
रक्षाबंधन के अवसर पर खासकर बच्चों में बहुत ही उत्साह देखने को मिलता है |छोटे बच्चे अपने नए परिधान और सुन्दर-सुन्दर राखियां देखकर बहुत खुश होते हैं | उस दिन वह नए कपड़े पहन कर अपने माता-पिता के साथ उत्सव को मनाते हैं | घर में भी उत्सव का माहौल बना होता है | आगंतुक और रिश्तेदार आते हैं | बड़ी बहन, छोटी बहन, बुआ सभी लोग घर पर एकत्रित होते हैं फिर बचपन की बातें होती हैं और अपनों के साथ बहुत सारी खुशियां बांटी जाती है |Rakshabandhan in Modern days
आज समय बहुत बदल गया त्योहार बहुत बदल गए | आज लोग अपने गैजेट्स और फोन पर ही त्योहारों की शुभकामनाएं दे देते हैं या ये कहें बस एक फॉर्मेलिटी पूरी कर देते हैं | पहले के त्योहार अलग थे और आज के त्यौहार में दिखावा साफ़ तौर पर झलकता है | प्यार की कमी नज़र आती है | अपनों के पास होते हुए भी अपनेपन का एहसास नहीं होता |कितनी बदल गए ये त्यौहार
बचपन से त्योहारों को देखते आ रहे हैं लेकिन क्या आजकल मनाए जाने वाले त्यौहार क्या सचमुच में वैसे ही रह गए हैं जैसा हम इनको बचपन में देखा करते थे |आज मैंने कुछ अजीब सा सोचा इसलिए शायद यह आर्टिकल लिख दिया लेकिन हमारा हमेशा प्रयास रहना चाहिए कि हमें अपने त्योहारों अपने संस्कारों और अपनी संस्कृति को उतना ही महत्व देना चाहिए जितना हमारे बुजुर्ग इनको युगों युगों से देते आये हैं इन्हीं शब्दों के साथ अपने कीबोर्ड को आराम फरमाने की इजाजत देता हूं |
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